कविता

शिक्षण क्रांति

जब तक न हुई थी हरित क्रांति,
सर्वत्र व्याप्त थी विपदा-भ्रांति,
हरित क्रांति से मिली हरीतिमा,
अब करनी हमको शिक्षण क्रांति.

भटक रहे हैं छात्र हमारे,
अनुशासन का काम नहीं है,
सभ्यता को भूल गए वे,
आदर का तो नाम नहीं है.

छात्र पूछ रहे, ”शिक्षा क्या है?”
अध्यापक भी समझ न पाया,
त्रिशंकु से अभिभावक हैं,
अधिकारीगण भी चकराया.

छात्रों को सद्शिक्षा देकर,
उनका भविष्य बनाना है,
इसीलिए शिक्षण क्रांति को,
अपना लक्ष्य बनाना है.

नई-नई विधियां अपनाकर,
रुचिकर पाठ बनाना है,
खुद करके देखो-समझो की,
उनको राह दिखाना है.

शिक्षक का हो ज्ञान असीमित,
उसे न हो जब कोई भ्रांति,
तभी सफल हो सकता शिक्षण,
तब ही होगी शिक्षण क्रांति.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “शिक्षण क्रांति

  • लीला तिवानी

    अब परीक्षा क्रांति करनी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देशभर में 10वीं और 12वीं बोर्ड की परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्र-छात्राओं से बात कर रहे हैं

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