शिक्षण क्रांति
जब तक न हुई थी हरित क्रांति,
सर्वत्र व्याप्त थी विपदा-भ्रांति,
हरित क्रांति से मिली हरीतिमा,
अब करनी हमको शिक्षण क्रांति.
भटक रहे हैं छात्र हमारे,
अनुशासन का काम नहीं है,
सभ्यता को भूल गए वे,
आदर का तो नाम नहीं है.
छात्र पूछ रहे, ”शिक्षा क्या है?”
अध्यापक भी समझ न पाया,
त्रिशंकु से अभिभावक हैं,
अधिकारीगण भी चकराया.
छात्रों को सद्शिक्षा देकर,
उनका भविष्य बनाना है,
इसीलिए शिक्षण क्रांति को,
अपना लक्ष्य बनाना है.
नई-नई विधियां अपनाकर,
रुचिकर पाठ बनाना है,
खुद करके देखो-समझो की,
उनको राह दिखाना है.
शिक्षक का हो ज्ञान असीमित,
उसे न हो जब कोई भ्रांति,
तभी सफल हो सकता शिक्षण,
तब ही होगी शिक्षण क्रांति.
अब परीक्षा क्रांति करनी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देशभर में 10वीं और 12वीं बोर्ड की परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्र-छात्राओं से बात कर रहे हैं