गिनती
मंजरी ने दूध का बर्तन आगे बढ़ाते हुए कहा।
“भइया आज से सिर्फ आधा लीटर दूध दिया करो।”
दूध वाले भैया ने बिना दूध दिए ही कहा।
“दीदी दो महीने का हिसाब बाकी है। वो मिल जाता तो। हमारे भी बाल बच्चे हैं। ”
मंजरी ने दूध का बर्तन वापस खींच लिया।
“कल आकर हिसाब ले जाना।”
कमरे में आकर मंजरी ने अलमारी से बटुआ निकाल कर पैसे गिने। उसने सोंचा कि इतने पैसों में तो दूध कर पूरा हिसाब भी नहीं हो पायेगा। बाकी महीना कैसे चलेगा। कुछ समझ न आने पर उसने दोबारा पैसे गिने। यह जानते हुए भी की इससे पैसे बढ़ नहीं जाएंगे।