कह रहे हैं लोग सब ऐसा हुआ वैसा हुआ
कह रहे हैं लोग सब ऐसा हुआ वैसा हुआ
असलियत लेकिन ख़ुदा ही जानता क्या हुआ
काम सौ अच्छे किये चर्चा न था कोई कहीं
इक बुराई का मगर हर मोड़ पर चर्चा हुआ
घर जलाती है सियासत फिर लगाती है हिसाब
आग लगने से चुनावी फायदा कितना हुआ
आ गये अच्छे दिनों का हैं ढ़िंढौरा हर तरफ
भूख से फिर मौत का क्यू आँकड़ा दुगना हुआ
पेट को रोटी मिलेगा काम सबके हाथ को
बोलिये तो आपके उन भाषणों का क्या हुआ
देखते इस हाल में बापू अगर इस देश को
सह नही पाते नही हो तुम चलो अच्छा हुआ
भारती माँ पूछती है देश की सरकार से
मजहबों के नाम पर क्यूँ फर्ज का सौदा हुआ
सतीश बंसल
०९.०२.२०१८