गीतिका/ग़ज़ल

कह रहे हैं लोग सब ऐसा हुआ वैसा हुआ

कह रहे हैं लोग सब ऐसा हुआ वैसा हुआ
असलियत लेकिन ख़ुदा ही जानता क्या हुआ

काम सौ अच्छे किये चर्चा न था कोई कहीं
इक बुराई का मगर हर मोड़ पर चर्चा हुआ

घर जलाती है सियासत फिर लगाती है हिसाब
आग लगने से चुनावी फायदा कितना हुआ

आ गये अच्छे दिनों का हैं ढ़िंढौरा हर तरफ
भूख से फिर मौत का क्यू आँकड़ा दुगना हुआ

पेट को रोटी मिलेगा काम सबके हाथ को
बोलिये तो आपके उन भाषणों का क्या हुआ

देखते इस हाल में बापू अगर इस देश को
सह नही पाते नही हो तुम चलो अच्छा हुआ

भारती माँ पूछती है देश की सरकार से
मजहबों के नाम पर क्यूँ फर्ज का सौदा हुआ

सतीश बंसल
०९.०२.२०१८

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.