दर्द की ग़म की खुशी की बात कर
दर्द की ग़म की खुशी की बात कर
कर मगर तू ज़िन्दगी की बात कर
छोड़ भी बातें सियासतदान की
आदमी है आदमी की बात कर
मत किया कर चाँद तारों की फक़त
बेबसों की बेबसी की बात कर
बात कर उजड़े हुए खलिहान की
और होती खुदकशी की बात कर
जगमगाहट की हुई बातें बहुत
हो सके तो रोशनी की बात कर
गैर समझे ही नही जो गै़र को
कर उसी ज़िंदादिली की बात कर
धर्म मजहब जात से बाहर निकल
जो ज़रूरी है उसी की बात कर
सतीश बंसल
१०.०२.२०१८