बुरे कर्म का बुरा नतीजा
आज दशहरा फिर से आया,
खुशियां-ही-खुशियां ले आया,
सच की सदा विजय होती है,
यह हमको बतलाने आया.
आज दुकानें खूब सजेंगी,
रंग-बिरंगी भली लगेंगी,
आज पटाखे खूब जलेंगे,
बच्चों की तो धूम मचेगी.
मेला आज लगेगा भारी,
हमने देखी है तैयारी,
आज मिलेंगे खूब गुब्बारे,
चाट-पकौड़ी की है बारी.
आज राम जी आएंगे,
सबको दरश दिखाएंगे,
रावण को फिर मारेंगे,
सीता जी को छुड़ाएंगे.
बुरे कर्म जो करता वह ही,
रावण दुष्ट कहाता है,
वरना रावण भारी पंडित,
पर राक्षस कहलाता है.
इस प्रकार यह पर्व दशहरा,
सच की जीत दिखाता है,
बुरे कर्म का बुरा नतीजा,
यह हमको सिखलाता है.
इस संसार में कोई मनुष्य स्वभावतः किसी के लिए उदार, प्रिय या दुष्ट नहीं होता. अपने कर्म ही मनुष्य को संसार में गौरव अथवा पतन की ओर ले जाते है. अच्छे कर्म अच्छे व्यक्तित्व का दर्पण हैं.