विस्तृत दायरा
आज सुखवंती की देसी रंग में रंगी विदेशी बहू वापिस ऑस्ट्रेलिया चली गई थी. सुखवंती पिछले कुछ अद्भुत दिनों की यादों में खोई हुई थी. उसके इकलौते बेटे दीपक की पोस्टिंग ऑस्ट्रेलिया में हो गई थी. माता-पिता ने दीपक को कह दिया था- ”वहां कोई कुड़ी पसंद आए, तो बेशक उससे शादी कर लेना. हम यहीं से आशीर्वाद दे देंगे.”
ऐसा हो भी गया था. दीपक को ऑस्ट्रेलियन बाला मार्गी मिल गई थी. बचपन से ही खुले दिल से बात करने वाले माता-पिता ने दीपक की बात सुनकर खुशी ज़ाहिर की. दोनों की कोर्ट मैरिज हो गई थी. हनीमून के लिए दीपक और मार्गी भारत आए थे. दिल्ली एयरपोर्ट पर माता-पिता उनको लिवाने गए थे. मार्गी ने साड़ी पहनी हुई थी और चरण छूकर सास-ससुर का आशीर्वाद लिया था. माथे पर बिंदी और मांग में सिंदूर ने उनका मन मोह लिया था.
मार्गी ने सास-ससुर यानी नए माता-पिता से अपनी शादी भारतीय विधि-विधान से भी करवाने का अनुरोध किया. ”यह तो मेरी मनचाही बात हो गई.” सुखवंती ने मन में सोचा था.
4-5 दिनों में यह भी हो गया. भारतीय विधि-विधान से दीपक-मार्गी की शादी के साथ रिसेप्शन हो गया. मार्गी अब दीपक की रोशनी हो गई थी. सुखवंती की खुशी का पारावार नहीं था. इतना प्यार, इतना मान-सम्मान उसने विदेशी बहू से पाया था, जिसकी उम्मीद शायद उसे तो क्या, किसी को भी न हो!
15 दिन के भारत-प्रवास में रोशनी तो सासू मां को छोड़कर कहीं जाने को तैयार ही नहीं थी. सुखवंती ने ही उसको मनुहार करके आगरे का ताजमहल देखने भेजा था. दीपक-रोशनी दो दिन वहां लगाकर आए थे.
दीपक को तो भारत के कई छोटे-मोटे काम निपटाने थे, रोशनी ने सास-ससुर की पूरी मेडीकल हिस्ट्री स्कैन कर ली थी और सभी डॉक्टर्स के नाम फोन नं. सेव कर लिए थे. ऑस्ट्रेलिया वापिस जाते समय रोशनी सासू मां को एक स्मार्टफोन दे गई थी, जिसमें ज़रूरत पड़ने पर सासू मां को रोशनी से बात करने के लिए बस एक नं. पर क्लिक करके मिस कॉल करना था, बाकी सब रोशनी संभाल लेगी. सासू मां निहाल हो गई थीं. वह सोच रही थीं शायद इसी को सास-बहू के रिश्ते का विस्तृत दायरा कहते होंगे. इतने में रोशनी का फोन आया- ”ममी जी, हम सिंगापुर पहुंच गए हैं, अब ऑस्ट्रेलिया की फ्लाइट में बोर्ड कर लिया है.” सुखवंती ने सपने में भी नहीं सोचा था, विदेशी बहू इतनी अच्छी हिंदी बोलेगी.
अच्छी लघुकथा
प्रिय विजय भाई जी, यह जानकर अत्यंत हर्ष हुआ, कि आपको रचना बहुत सुंदर लगी. हमेशा की तरह आपकी लाजवाब टिप्पणी ने इस ब्लॉग की गरिमा में चार चांद लगा दिये हैं. इसी तरह के व्यवहार से परिवार सुखमय रह सकता है. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.
जाति-देश धर्म से नहीं, उत्तम व्यवहार और इंसानियत से दायरा विस्तृत होता है.