ग़ज़ल
कहाँ तक हम छुपाएँ राज़ दिल का …..
ज़रा जानो हमारे हाल दिल का …..
तुम्हारी तरफ़ बढ़ते आ रहे हैं …..
सुनो सुनना , सुनाना हाल दिल का …..
तुम्हें होती खुशी है दूर जाओ …..
फ़साना पर ख़तम होगा न दिल का …..
छुपेगा तू कहाँ तक दूर जाकर …..
लगा दें ढूँढ़ने में दाँव दिल का …..
बस्ती दिल की बसा लेंगे जहां में …..
बड़ी यह सोच , था न कमाल दिल का …..
वफ़ा करके मुकर जाना सुनो क्यों …..
कभी जाना , हुआ क्या हाल दिल का …..
ज़माने में तुम्हीं तो हो निराले …..
सुनो , आया ‘ रश्मि ‘ अब काल दिल का …..
— रवि रश्मि ‘अनुभूति’