” जन जन की सरकार यहां है ” !!
मिली सफलता शीश चढ़ी है ,
जन जन की यहां पीर बढ़ी है !
होते सदा लुभावन वादे ,
नेता की तकदीर बड़ी है !
झूंठ का कारोबार यहां है !!
काम किये कुछ अच्छे भी हैं ,
नेता सच्चे टुच्चे भी हैं !
यहां पदों की बड़ी लालसा
जनता खाती गच्चे ही हैं !
सेवा की दरकार कहाँ है !!
सदा भरोसे टूटे अपने ,
खूब विकास के देखे सपने !
विज्ञापन भरमार यहां हैं ,
सच्चे सेवक नहीं है टिकने !
केवल बस फटकार यहां है !!
अधिकारों की घमासान है ,
टूटे रोज आसमान है !
त्राहि त्राहि जनता है करती ,
टूटे घर , टूटी दूकान है !
बदले से व्यवहार यहां हैं !!
कारोबार हवाला करते ,
और विपक्ष के नाम हैं धरते !
छल बल भी है पदलिप्सा भी ,
अहंकार में डग डग भरते !
पग पग पर तकरार यहां है !!
मार पीट है , उत्पीड़न भी है ,
तीखे बोल ,दनादन भी है !
छटे हुए हैं सभी खिलाड़ी
तकरारें अब उलझन भी हैं !
रंगारंगा दरबार यहां है !!
राष्ट्रधर्म का पाठ न सीखे ,
बस विरोध में मस्त हैं दीखे !
सत्ता का दोहन करते हैं ,
जोंक सरीखे देखो चिपके !
मिले सभी बटमार यहां है !!