मेरी अभिलाषा
मेरी बस एक यही अभिलाषा है,
इन भ्रष्टाचारियों की दुनिया में,
ईमानदारी का पाठ पढ़ाऊंगा,
मैं कुछ कर के दिखलाऊंगा,
जो लोग असहाय लाचार हैं,
ना कुछ करने को तैयार हैं,
उनका आत्मविश्वास बढ़ा,
मैं उनको शिक्षित बनाऊंगा,
जो उम्मीदों को छोड़ें हैं,
अपने सपनों को तोड़ें हैं,
उनसे हुंकार भरवाऊंगा,
हकीकत से रूबरू करवाऊंगा,
जिसको जो कहना है कहता रहें,
मैं अपने धून में झुमूंऊगा,
रोते हुए मानव को भी मैं,
हंसने का गुर सिखाऊंगा,
संजय सिंह राजपूत
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