ग़ज़ल
दर्द के आसपास,, रहने दे,
थोडा दिल को उदास,, रहने दे!
कोई क़ातिल नहीं तुम्हारे सिवा,
बेसबब ये तलाश,, रहने दे!
अपने हिस्से में तीरगी ही सही,
उनके हिस्से उजास, रहने दे!
छोड़ दो कल पे कल जो होना है,
ज़िन्दगी बस कयास, रहने दे!
हो समंदर भी तेरे अंदर पर,
एक कतरे की प्यास,, रहने दे!
तेरे ज़मीर से ‘जय’ वाकिफ़ है,
तन के उजले लिबास रहने दे!
— जयकृष्ण चांडक ‘जय’