गज़ल
नफरतों को मिटा पाये मुहब्बत
ज़हाँ में ऐसी पहुंचाये मुहब्बत
दिखा रोगी बनो साथी दुखी पल
कमी अपने भुला पाये मुहब्बत
यही पूजा निभाने में किया कुछ
असल मतलब पहुंचाये मुहब्बत
लगे कतरा भरी मिली सहूलत
बनाये जो सही गाये मुहब्बत
गिरो को आसरा बन के उठाये
यही तो जिंदगी भाए मुहब्बत
इरादों दोस्ती लाए मुहब्बत
कमी में मशबुरा पाये मुहब्बत
— रेखा मोहन