गीतिका/ग़ज़ल

*****गीतिका*****

शहर में रेत के सागर तलाश करती हूं !
हां मैं प्यासी हूं पानी तलाश करती हूं!!

खो गया जाने कहां मैकदा औ साकी!
डूबती दरिया में साहिल तलाश करती हूं!!

पिया जो बूंद प्यास जवां हो गई साहिब!
सामने जाम है प्याला तलाश करती हूं!!

दिख गई जो किरन आस की यारो !
अंधेरे शहर में उजाला तलाश करती हूं !!

न पूछो शुष्क होठों का आलम जानां!
ओस की बूंदों में अमृत तलाश करती हूं!!

न होता आंखों से दीदार तो अच्छा था!
चेहरों में उसका चेहरा तलाश करती हूं!!

हाथ थामा तो था उम्र भर को साहिब!
सेहरों में हमसफर अपना तलाश करती हूं!!

लगे जो ठोकर मुझे गिर न जाऊं कही मैं !
उठा ले जो मुझे वो रहबर तलाश करती हूं!!

वीरान है महफिल मेरी वीरान हैं गलियां!
भरे बज्म में शोरोगुल तलाश करती हूं!!

कौन अपना यहां कौन हो रहा बेगाना !
गैरों के शहर में अपना तलाश करती हूं!!

प्रीती श्रीवास्तव

प्रीती श्रीवास्तव

पता- 15a राधापुरम् गूबा गार्डन कल्याणपुर कानपुर