गीत/नवगीत

“बुरा न मानों होली में”

होली जोगिरा गीत

उडी हवा हैं रंग भंग की छानो मेरे यार

भौजी झाँके घर के बाहर पका रही अंचार…… जोगिरा सर र र र र र -1

कैसी कुर्ती कैसी टोपी कैसी री सलवार

भीग रही है गोरी दैया बिना रंग बौंछार………. जोगिरा सर र र र र र-2

सम्हल के चलना नेता जी है फागुनी बयार

पानी से बाहर निकले हैं बड़े बड़े घरीयार…….. जोगिरा सर र र र र र-3

गाँव गाँव में शोर मचा है माटी में ब्यापार

लाल खड़े हो परधानी में जीत रही सरकार……. जोगिरा सर र र र र र-4

गई भैंस पानी में भैया पोखर हुआ बेहाल

नौ मन की जलकुम्ही फैली दे ताल पर ताल…… जोगिरा सर र र र र र-5

बह न पाये किसी की नाली दे गाली गँवार

राह बिचारी जोह रही है कैसा है भरतार……..जोगिरा सर र र र र र- 6

बात बात पर लड़ जाती हैं सकरी गली दीवार

अंगुल अंगुल माप लिए हो अब कैसी मल्हार…….. जोगिरा सर र र र र र-7

डर मत यारा पीकर लुढ़का देशी शुद्ध शराब

वासी हो गई बोतल बैरन न कर नशा खराब……… जोगिरा सर र र र र र-8

आज हर्ष की बात हुई है होली में पिया साथ

मलमल रंग लगा ले सजना उठापटक की रात……. जोगिरा सर र र र र र-9

गाँव गाँव क्या शहर शहर क्या मीठी बोली ढ़ोल

चौतल्ली डेढ़तल्ली रसना मधुर मधुर स्वर घोल……..जोगिरा सर र र र र र-10

धूल उड़ा ले चूल उड़ा ले छलके गागर मोर

रे गौतम हुड़दंग उड़ा ले पुरखों से कर ज़ोर………. जोगिरा सर र र र र र-11

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ