“गीतिका”
रंग डालो लली है होली
गाओ फाग गली है होली
तब देख बहारें होली की
भंग रसिया भली है होली
चाल नागिन केश घुँघराली
नैन कजरा कली है होली
पाँव लाली महावर लिए
होठ दंतन खिली है होली
आज छैला अधीर हुए हैं
भाव भाभी पली है होली
फिर न कहना ये क्या हो गया
राग रस मन चली है होली
देख गौतम प्रिय रंग लाया
प्यार परबस ढली है होली
— महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी