गीतिका/ग़ज़ल

“गीतिका”

रंग डालो लली है होली

गाओ फाग गली है होली

तब देख बहारें होली की

भंग रसिया भली है होली

चाल नागिन केश घुँघराली

नैन कजरा कली है होली

पाँव लाली महावर लिए

होठ दंतन खिली है होली

आज छैला अधीर हुए हैं

भाव भाभी पली है होली

फिर न कहना ये क्या हो गया

राग रस मन चली है होली

देख गौतम प्रिय रंग लाया

प्यार परबस ढली है होली

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ