गज़ल
सारी दुनिया में नाम कर जाऊँ
चाहे जिंदा रहूँ या मर जाऊँ
जलूँ भी तो जलूँ सूरज की तरह
रोशनी बन के बस बिखर जाऊँ
मुझे तौफीक बख्शना इतनी
ना अपने कौल से मुकर जाऊँ
चाहे जितनी भी मुश्किलें आएँ
मयार पर मैं खरा उतर जाऊँ
हर तरफ तू ही तू नुमाया है
तुझसे बचके बता किधर जाऊँ
— भरत मल्होत्रा