सफलता के सुमन
सफलता के सुमन चुनें हम,
ह्रदय-सुमन को विकसित कर लें।
इन सुमनों की मधुर सुरभि से,
अपना जीवन सुरभित कर लें॥
साथी से सहयोग करें हम,
पीछे हटें न कभी कर्म से।
दीन-दुःखी, निबलों-विकलों की,
सेवा कर हम रहें धर्म से॥
सरलता से जीवन बीते,
छल-कपट नजदीक न आए।
सबसे रखें सहानुभूति हम,
अपना जीवन व्यर्थ न जाए॥
सद्बुद्धि से चलें सभी हम,
दुर्बुद्धि को दूर भगाएं।
सद्प्रयत्न कर जग में विचरें,
जीवन-नैय्या पार लगाएं॥
सब धन जग में मिल जाते जब,
धन संतोष का मिल जाता है।
सच्चरित्रता के भाव-सुमन से,
जग को सौरभ मिल जाता है॥
सत्य का संबल लेकर जग में,
हम जीवन का दीप जलाएं।
स्नेह की बाती इस दीपक में,
सदा जगाएं, सदा जलाएं॥
समता की शुभ रज्जु लेकर,
पर्वत पर चढ़कर दिखलाएं।
स्वदेश-प्रेम का लेकर झंडा,
जन्मभूमि का मान बढ़ाएं॥
स्वाध्याय की आदत डालें,
पठन-मनन से ज्ञान बढ़ाएं।
गुरुजनों का और बड़ों का,
मान करें और विनय दिखाएं.
स्वरक्षा हम करें, बली हों,
ताकि किसी का मुख नहीं ताकें।
सुमधुर वाणी से मन हर लें,
कभी न पर के घर में झांकें॥
काम करें हम ठीक समय पर,
समय का सद्उपयो करें।
सद्भावना की फटिक शिला पर,
प्रेम सहित उद्योग करें॥
सफलता के इन सुमनों का,
गुलदस्ता हम क्यों न बना लें!
इन पर चलकर हम जीवन को,
हर्षित-पुलकित क्यों न बना लें!
सफलता के सुमन पाने के लिए सेवा, सहयोग, सरलता, सत्य, संतोष, समता आदि सद्गुणों को अपने अंदर पनपाना होगा.