टेलीफोन
टेलीफोन के लिए हमने किया अप्लाई,
न कोई संदेश आया न रिप्लाई,
हमने सोचा अब न आएगा,
शायद हमारी बारी ही नहीं आई.
अचानक नया एक्सचेंज खुल गया,
हमारा क्षेत्र उससे जुड़ गया,
हमारे घर आया टेलीफोन,
(हमने सोचा) अब यही खनकेगा, कंगना रहेगा मौन.
तीन दिन तक शोर चलता रहा,
कभी तार कभी यंत्र चलता रहा,
फिर पड़ोसियों का आना बढ़ गया,
बाजार की चीनी का खर्च चढ़ गया.
एक दम्पत्ति का हुआ आगमन,
(बोले) ट्रंक कॉल करने की है दरकार,
हमने कहा शौक से करिए,
पर अभी तक फोन है बीमार.
अभी तो यंत्र आया है केवल,
इसमें जान नहीं आई,
खिला-पिलाकर खुश करना पड़ा,
ताकि सदमे की हो सके भरपाई.
राम-राम कर उसमें जान आई,
उसकी खनक सबके मन भाई,
आने-जाने से उसने जान छुड़ाई,
घर में ही मानो नई दुनिया बसाई.
बहरीन से आया टेलीफोन,
आधी रात का टूटा मौन,
सारी दुनिया आराम फरमा रही थी,
रजाई छोड़ उठाया फोन.
फोन उठाकर कहा, ”हैलो कौन?”
वे सज्जन तनिक रहे मौन,
फिर बोले, ”नीचे वाले तेजराम को बुलवाइए,
बात बहुत जरूरी है करवाइए.”
हमने कहा,”अंकल जी, पता है कै बजे हैं?
(वे बोले) ”सानूं ते पता नहीं, तुसी दसो कै बजे हैं?
हमने कहा, ”इधर ते रात दे बारह बजे हैं,
उधर दी आप या भगवान बता सकदे हैं.”
ख़ैर तेजराम जी को बुलवाया,
उनका वार्तालाप करवाया,
टेलीफोन की कृपा अपार थी,
उसने सर्दी की रात का नजारा दिखलाया.
फोन आते रहे, हम बुलवाते रहे,
कभी इधर, कभी उधर, संदेश पहुंचाते रहे,
सुविधा हमें भी बहुत थी,
तनिक दुःख भी उठाते रहे.
एक बार भैया ने फोन उठाया,
किसी शबनम के लिए था फोन आया,
भैया ने मुंह पर रूमाल लगाया,
”हैलो, मैं हूं शबनम” फरमाया.
कुछ इधर की, कुछ उधर की बात चलती रही,
कुछ देर तक बात बनती रही,
फिर उधर से कुछ खटका हुआ,
पता लगा, टेलीफोन बंद हुआ.
एक दिलफेंक आशिक का फोन आया,
हमारी सखी ने फोन उठाया,
रॉन्ग नंबर था, लेकिन उससे क्या?
उन महाशय का भाषण चलता रहा.
”मैटिनी शो में रीगल पर मिलना,
न आ सको तो इंफार्म करना,
वही पीली साड़ी पहनकर आना,
मेरे लिए ब्रिटेनिया केक लाना.”
इधर से बोलने का मौका न दिया,
बात खत्म कर फोन बंद किया,
अब तक कर रहा होगा वह इंतजार,
कहीं हो न गया हो वह बेइंतहा बेकरार.
अभी तो ख़ैर है, देखें आगे क्या होता है,
टेलीफोन का जंजाल क्या होता है,
जब आएगा बिल टेलीफोन का,
देखें अपना क्या हाल होता है!
1875 में आज के दिन 7 मार्च ऐलेक्जैंडर ग्रैहैम बेल ने टेलीफोन का आविष्कार किया. 1984 में हमारे घर टेलीफोन का पहला नया कनेक्शन आया. उसी की आपबीती इस कविता में आपके समक्ष प्रस्तुत है.