पुष्पांजली
जगत नारायण पास के एक गांव से एक बाल विवाह रुकवा कर लौटे। हमेशा की तरह उन्होंने अपनी बेटी की तस्वीर पर फूल चढ़ाए। तस्वीर में बारह तेरह साल की एक लड़की का मुस्कुराता चेहरा था। उन्हें फूल चढ़ाते देख कर उनके सहयोगी ने पूँछा।
“जगत बाबू आप जब भी किसी बच्ची को बाल विवाह से बचाते हैं तो अपनी बेटी की तस्वीर पर फूल क्यों चढ़ाते हैं?”
जगत नारायण की आँखें भींग गईं। अपनी बेटी की गुहार कानों में गूंजने लगी। ‘बाबा मेरी शादी मत करवाओ। मुझे अभी पढ़ना है..”
जगत नारायण ने अपनी ज़िद नहीं छोड़ी। कच्ची उम्र में बेटी को जान गंवानी पड़ी।