यात्रा वृत्तान्त!
छुट्टियों का बहाना ढूंढना और अपने कज़न्स के साथ बैष्णौ देवी के दर्शन करने जाना जो कटरा में है तकरीबन दो घंटे लग जाते हमें जम्मू से कटरा पहुंचने में। रास्ता तब इतना अच्छा नहीं था, फिर भी मन में उमंग भर कर बस एक फोन आना कज़न्स का और ममी को मनाकर चले जाना कि वो पापा को बता दें क्योंकि पापा से थोड़ा डर लगता था। ममेरे भाई कालेज में थे और ममेरी बहने कोई हाई स्कूल में कोई हायर स्कैंडरी बस पैसे इकट्ठे करके कैमरे लेकर चल पड़ना सफर पर। एक बार मामी जी की बहन और जीजाजी उनके बच्चे हम सब कज़न्स को लेकर जाने वाले थे उन्होने कुछ मन्नत पूरी होने पर बच्चौं को खासकर लड़कियों को लेकर जाना था। मैने भी अपने बड़ी बुआ जी के पौत्र को साथ ले लिया। सभी ने साथ निकलना था इसलिए बस स्टैंड पर हम कज़न्स मामी जी की बहन और जीजाजी जो आटो से जाने वाले थे इंतज़ार करने लगे हम एक सफेद रंग की गाड़ी के साथ खड़े थे कुछ देर में सब आ गए और हम बस में बैठकर निकले ही थे कि पीछे से बहुत ज़ोर के धमाके की आवाज़ आई बहुत धुँआ उठा फिर एक और धमाका हुआ हमें समझ आ गया कि बम बलास्ट हुआ है। ड्रराईवर ने बहुत तेजी से गाड़ी निकाली हमारे पीछे -पीछे आटो वाले जख्मी लोगों को जल्दी जल्दी वहाँ से अस्पताल के लिए रवाना होने लगे। वो ड्राइवर को जख्मी लोगों क लिए रास्ता देने को कह रहे थे। हम बहुत डरे हुए थे,मैं खुद डरी हुई थी क्योंकि मैं अपने साथ बुआ जी के पौत्र को भी ले आई थी तब मौबाईल फौन नहीं थे। हम कटरे पहुंच गए थे। एस टी डी पर बहुत भीड़ थी फौन भी मुश्किल से मिल रहा था मैने बुआ जी के घर सुनाया कि हम ठीक हैं और बुआ जी की बेटी जो कटरा में रहते थे वहीं भतीजे को छोड़ा वो बहुत छोटा था रो रहा था। मेरी कज़न ने मुझे भी रुकने को कहा पर हमने कहा कोई बात नहीं बाकि सब भी हैं हम दर्शन करके ही जाएंगे। फिर हमने बैष्णणो देवी के दर्शन किए और घर को रवाना हुए क्योंकि सभी को फिक्र हो गई थी और आगे से हमें अकेले जाने को भी मना किया गया। घर आकर ही हमने सुना कि बम किसी सफेद कार में रखा गया था और हम सब मिलकर यही बातें कर रहे थे कि हम भी बलास्ट की चपेट में आ सकते थे पर बच गए। कुछ देर नहीं गए पर फिर तीन छ: महीने बाद हम दर्शन को जरूर जाते थे बिना डर के।