लघुकथा

घमंडी

श्रवण ट्रेन में अपने सामने बैठे व्यक्ति को देख कर मुस्कुराया। उसकी आदत थी कि वह अपने साथ यात्रा कर रहे व्यक्ति से दोस्ती कर लेता था। अक्सर इसकी शुरुआत मुस्कुराहट से होती थी। पर आज सामने वाले व्यक्ति ने कोई जवाब नहीं दिया। श्रवण ने एक दो इधर उधर की बातें भी शुरू कीं किंतु वह व्यक्ति अपने में ही गुम रहा। श्रवण ने मन ही मन उसे घमंडी करार दिया। वह भी मैगज़ीन पढ़ने लगा।
करीब एक घंटे बाद उस व्यक्ति का मोबाइल बजा। वह किसी से बात करने लगा।
“मैं कल सुबह तक पहुँच पाऊँगा। तब तक इंतज़ार करना…”
कहते हुए उसकी आवाज़ भर्रा गई। अपनी बात समाप्त कर उसने फोन रख दिया। श्रवण की तरफ देख कर बोला।
“आज दोपहर मेरी पत्नी दुर्घटना में मर गई। घर पर सब मेरे पहुँचने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।”
श्रवण को अपनी सोंच पर बहुत शर्मिंदगी हुई। वह उसके दुख के निजी पलों में अनजाने ही घुसने का प्रयास कर रहा था।

*आशीष कुमार त्रिवेदी

नाम :- आशीष कुमार त्रिवेदी पता :- C-2072 Indira nagar Lucknow -226016 मैं कहानी, लघु कथा, लेख लिखता हूँ. मेरी एक कहानी म. प्र, से प्रकाशित सत्य की मशाल पत्रिका में छपी है