जीवन जीना नहीं सरल है
जीवन जीना नहीं सरल है,
पग-पग पर पीना पड़े गरल है
जन्म से मृत्यु तक संघर्ष ही संघर्ष है,
कर आत्म संतुष्टि फिर हर्ष ही हर्ष है
राग, द्वेष, तम सब दूर भगाना है,
हर पल खुशहाल बनाना है
सत्कर्मों से मानवता को दो सम्बल,
स्नेह दीप हमेशा होता रहे प्रज्ज्वल
माना कि पग-पग पर बिछे हैं शूल,
भूतल पर भाँति-भाँति के खिले हैं फूल
जीवन जीना नहीं सरल है,
पग-पग पर पीना पड़े गरल है