मैं कहाँ से चला था
मैं कहाँ से चला था और कहाँ आ गया
मैं कल कहाँ था आज कहाँ आ गया
मैंने कुछ सोचा न था अपने लिए
मैं मनचला कहाँ से कहाँ आ गया
मैं दुनिया में ढूंढता रहा अपनी राह
मंजिल न मिली तो मैं बढ़ता चला गया
मैंने सोचा था कि अच्छे दिन आएंगे
पर मैं अपने गम में डूबता चला गया
मैंने जिंदगी में खोया है बहुत कुछ
मैं इस जंजाल मैं फसता चला गया
अब निकलना है बहुत मुश्किल इससे
मैं खुद को ही भूलता चला गया
मैं एक नर्म फूल की तलाश के लिए
सख्त कांटो पर चलता चला गया
वो फूल तो कहीं मिला नहीं मुझको
तो कांटो को हमसफ़र बना लिया
साथ निभाने कोई मिला नहीं तो
क़लम को ही साथी बना लिया….