गोरा हो: The Golden Boy
बैंकॉक में आयोजित एशिया कप स्टेज आई आर्चरी मीट में गोल्ड मेडल अपने नाम करने वाली टीम में आकाश और गौरव के साथ गोरा हो शामिल हैं. इन तीनों खिलाड़ियों ने मंगोलिया को हराकर प्रतियोगिता में पहला स्थान हासिल किया. गोरा हो की कहानी पढ़कर बचपन में पढ़ी एकलव्य की कहानी याद आ गई. गोरा को गोल्डन बॉय भी कहा जा रहा है, जो उनका नया उपनाम बन चुका है.
उस समय के एकलव्य ने खुद से धनुर्विद्या सीखने का शानदार उदाहरण प्रस्तुत किया था. गोरा हो ने भी ऐसा ही किया. धनुर्विद्या में विलक्षण प्रतिभा के धनी गोरा झारखंड के राजनगर टाउन के बालीजुडी नाम के जनजातीय गांव में रहने वाले हैं. वे एक गरीब किसान के बेटे हैं. गोरा ने जूनियर और सब जूनियर स्तर पर प्रादेशिक और नैशनल लेवल पर 100 से ज्यादा मेडल अपने नाम किए हैं. 6 साल के छोटे से समय में ही वह बहुत तेजी से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छा चुके हैं. आर्चरी के जिन जानकारों ने भी गोरा को लक्ष्य पर निशाना साधते देखा है, वह मानते हैं कि निश्चित रूप से उनका अगला लक्ष्य तोक्यो ओलिंपिक 2020 ही होना चाहिए. धनुष और तीर से लक्ष्य भेदने की उनकी कला अनोखी और अकल्पनीय है.
गोरा की उपलब्धियों को देखते हुए राज्य सरकार ने उन्हें स्पेशल टैलंट माना और पिछले साल राज्य सरकार ने 2.70 लाख की कीमत का विशेष धनुष उपहार में दिया.
सुन्दर रचना लीला बहन .
गोरा हो कोआज का एकलव्य भी कहा जा सकता है. उसका नया उपनाम ‘गोल्डन बॉय” है. अत्यंत निर्धनता और साधनहीनता के बावजूद उसकी विचित्र आर्चरी प्रतिभा संसार के सामने परिलक्षित हुई है. गोरा हो के उज्ज्वल भविष्य लिए हमारी कोटिशः शुभकामनाएं.