मास्टर जी !
सोमनाथ जी ने जैसे ही घर में कदम रखा, रमा ने लम्बी सामान की लिस्ट थमा दी। सोमनाथ जी समझ गए आज रमा गुस्से में है, रमा ने फिर पुराना राग अलापना शुरु कर दिया था। वो हमारे मौहल्रले के बिजनसमैन रवि ने अपने बेटे को पास कराने के बदले कितने रुपए आॅफर किए थे , किसी को पता भी नहीं चलना था पर….नहीं आपको तो अपने उसूल पसंद हैं। पर उसूलों और ईमानदारी से जरुरतें पूरी होती हैं ख्ववाहिशें नहीं! रमा चाहती थी कि सोमनाथ जी तनख्वाह के अलावा कोई और भी कमाई रखें, पर सोमनाथजी अपने उसूलों के पक्के और ईमानदार थे। वो बहुत बार समझा चुके थे कि जो है उसी में जीना सीखो, पर रमा किसी भी तरह से आमदनी चाहती थी। वो यही कहती क्यों आप ओवरटाईम करके स्कूल में बच्चों को पढ़ाते हैं उन्हें ट्यूशन के लिए घर बुलाईए ना…! सोमनाथ जी कहते रमा वो गरीब बच्चे हैं कहाँ से लाएंगे ट्यूशन के पैसे ??
रमा के पास हर बात का जवाब रहता वो भी कह देती हम तो जैसे बहुत अमीर हैं ना…!
सोमनाथ जी बच्चौं को उसूलों और इमानदारी से जीना सीखाना चाहते थे पर रमा उनकी हर ख्वाहिश पूरी करना चाहती थी कैसे भी।