कविता

लगता है !

लगता है !
होली पे तुम सब भूल कर
बड़ाओगे कदम आगे , लगता है
सच ही तो है ,क्या रखा है
छोटी -छोटी बातों को बड़ाने में
बार-बार रुठने और मनाने में
त्योहार यही तो हमें सिखाते हैं
एक मधुर एहसास कराते हैं
ये लाल, पीले , हरे, नीले रंग
जीवन की खुशियाँ लाते हैं संग
चलो भूलकर सभी गिले और शिकवे
फिर रंग जाएं उन रंगों में
जो बेरंग जीवन को रंगीन बनाकर
हमें , तुम्हें और जहां को सजाकर
देते हैं अनुभूति हसीन जहां की
वो दुनिया यहां राग ,द्वेष नहीं
बस हसीं , रंगीन जहां लगताहै
चलो मिलकर कोशिश करें
ऐसा हसीन जहां बनाने की
यहां गुलाल उड़ता हो आसमां तक
किसी की दुनिया बेरंंग न हो
किसी की वजह से कभी भी !
कामनी गुप्ता ***
जम्मू !

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |