सच लिखने की कोशिश करती हूँ,
कुछ सीखने की कोशिश करती हूँ।
ज़माना हर रोज लगाता है कीमत,
नहीं बिकने की कोशिश करती हूँ।
देश पर मिटने की कोशिश करती हूँ,
जिद्द पर टिकने की कोशिश करती हूँ।
देश से बढ़कर नहीं प्यारा कोई मुझे,
अलग दिखने की कोशिश करती हूँ।
खून से सिंचने की कोशिश करती हूँ,
देशप्रेम में बिछने की कोशिश करती हूँ।
राजनीति की दलदल में फंसा है देश,
बाहर खींचने की कोशिश करती हूँ।
खुशियाँ खरीदने की कोशिश करती हूँ,
दिलों को जीतने की कोशिश करती हूँ।
सुलक्षणा चला कर कलम ऐ तीर अब,
गद्दारों को बींधने की कोशिश करती हूँ।
— सुलक्षणा अहलावत