सामाजिक

आरक्षण

मेरे गांव में एक दलित (चमार) है। लालजी राम उसका नाम है। उसकी पत्नी ने मेरी माँ की बहुत सेवा की थी। लालजी राम भी मेरे पिताजी के हर आदेश पर एक पैर पर खड़ा रहता था। वह लगभग रोज ही सवेरे मेरे घर आता था। आम के बगीचे की देखभाल उसी के जिम्मे थी। पिताजी तो अब नहीं रहे, लेकिन मेरे परिवार के सभी लोग उसे आज भी बहुत प्यार करते हैं। उसमें और उसकी पत्नी में एक ही बुरी आदत थी। वह यह कि दोनों अत्यधिक कच्ची शराब का सेवन करते थे। पसिया टोली मेरे घर के पास ही है जो आज भी नीतीश कुमार की शराबबंदी को ठेंगा दिखाते हुए देसी शराब का जिले में सबसे बड़ा केन्द्र बन चुका है। लालजी की पत्नी पाँच साल पहले कच्ची शराब के सेवन से इस लोक से चली गई। लालजी भी शराबियों के आपसी संघर्ष में एक बार बुरी तरह पिटा जिसके कारण रीढ़ की हड्डी में चोट आई, फलस्वरूप वह मुश्किल से चल-फिर सकता है, कोई काम नहीं कर सकता। वृद्धावस्था पेंशन और मेरे घर से प्राप्त आर्थिक सहायता ही उसका संबल है। उसके दो बच्चे हैं। बारी-बारी से दोनों उसे खिलाते हैं। बड़े बेटे वीरेन्द्र का पढ़ने में मन नहीं लगा। किसी तरह कक्षा आठ तक पढ़ा। उसके बाद वह जयपुर चला गया जहां मेरे गांव के अधिकांश युवक दिहाड़ी मज़दूर के रूप में काम करते हैं। छोटा बेटा प्रदीप पढ़ने में कुछ अच्छा था। उसे हमलोगों ने प्रोत्साहित किया, रुपए-पैसे, किताब-कापी की व्यस्था की। येन केन प्रकारेण उसने बी.ए. पास कर लिया। मुझे उम्मीद थी कि दलितों के आरक्षण कोटे के तहत उसे नौकरी मिल जाएगी। लेकिन वहां हर एक पद के लिए उसकी प्रतियोगिता दलित समाज के क्रीमी लेयर के उन लड़कों से थी जिनके पिता आरक्षण का लाभ लेकर सरकारी नौकरी पाने के बाद शहरों में बस गए थे। प्रदीप ने कई प्रयास किए लेकिन हर बार असफलता ही मिली। इस बीच उसकी शादी भी हो गई। अत्यधिक तनाव और आर्थिक तंगी के कारण उसके पेट में दर्द रहने लगा। डाक्टरों ने बताया कि उसके पेट में ट्यूमर है। सबने उसे टाटा मेमोरियल हास्पीटल, मुंबई जाने की सलाह दी। लेकिन वहां जाकर इलाज़ कराना उसके वश में नहीं था। गांव के ही कुछ युवक पिछली गर्मियों में घर आए थे। वे उसे लेकर जयपुर गए। वहां सवाई माधो सिंह अस्पताल में उसका इलाज हुआ। आपरेशन करके ट्यूमर बाहर निकाल दिया गया। गांव के जो युवक जयपुर में रह रहे थे, उन्होंने ही चन्दा लगाकर उसका इलाज कराया। इलाज में डेढ़ लाख रुपए खर्च हुए। जातीय भावना से ऊपर उठकर युवकों ने उसका इलाज़ कराया। अभी होली में प्रदीप से मेरी मुलाकात हुई थी। अब वह ठीक है। वह सरकारी नौकरी पाने की उम्र पार कर चुका है। एक कंपनी के घरेलू उत्पाद घूम-घूमकर बेचकर वह अपनी आजीविका चला रहा है।
बिहार के पिछले विधान सभा के चुनाव में लालू-नीतीश गठबन्धन को प्रचंड बहुमत मिला था। मैं जब भी घर जाता हूं, लालजी मुझसे मिलने अवश्य आता है। मैं जबतक रहता हूं, उसे खैनी खाने के लिए प्रतिदिन बीस रुपए देता हूं। मेरे चचेरे बड़े भाई स्थानीय राजनीति में सक्रिय रहते हैं। वे भाजपा के मंडल अध्यक्ष हैं। विधान सभा चुनाव के बाद मैं घर गया था। मैंने लालजी से पूछा – “चुनाव में तुमने किसे वोट दिया था?” उसने भैया को न बताने के आश्वासन के बाद बताया — “ मैं सबसे झूठ बोल सकता हूं, लेकिन आपसे नहीं। आप मनोज भैया को मत बताइयेगा। उन्होंने मुझसे कमल पर वोट डालने के लिए कहा था, लेकिन मैंने तीर (नीतीश) को वोट दिया।” मैंने फिर प्रश्न किया — “तीर में तुम्हें क्या अच्छाई दिखाई पड़ी?” “ बबुआ आप समझते नहीं। लालू भैया ने मीटिंग में कहा था कि कमल वाले पावर में आने पर दलितों का आरक्षण खत्म कर देंगे।” उसने तपाक से उत्तर दिया। मैंने उससे पूछा कि आरक्षण से तुम्हें कभी कोई फायदा हुआ है? तुम्हारा बी.ए. पास बेटा दर-दर की ठोकरें खाता रहा, लेकिन उसे चपरासी की भी नौकरी नहीं मिली। इसके बाद भी तुमने लालू की बातों पर विश्वास कर लिया। उसने कहा कि जाने दीजिए; बिरादरी के किसी न किसी को फायदा तो मिलता ही होगा।
मैं उसकी त्याग-भावना के आगे नतमस्तक था। मैं घर जाता हूं तो वह पहले की तरह ही आने का समाचार पाकर मिलने के लिए आता है और खैनी का पैसा लेता है। उसका बेटा प्रदीप सायकिल से अब भी घूम-घूमकर घरेलू उत्पाद बेचता है। प्रदीप की पत्नी मेरे ही घर में झाड़ू-पोंछा करती है। लालजी का परिवार साठ साल पहले जैसा था, आज भी वैसा ही है। उसे आरक्षण की आजतक कोई सुविधा नहीं मिली लेकिन वह आरक्षण नीति में किसी तरह के बदलाव का प्रबल विरोधी है।

बिपिन किशोर सिन्हा

B. Tech. in Mechanical Engg. from IIT, B.H.U., Varanasi. Presently Chief Engineer (Admn) in Purvanchal Vidyut Vitaran Nigam Ltd, Varanasi under U.P. Power Corpn Ltd, Lucknow, a UP Govt Undertaking and author of following books : 1. Kaho Kauntey (A novel based on Mahabharat) 2. Shesh Kathit Ramkatha (A novel based on Ramayana) 3. Smriti (Social novel) 4. Kya khoya kya paya (social novel) 5. Faisala ( collection of stories) 6. Abhivyakti (collection of poems) 7. Amarai (collection of poems) 8. Sandarbh ( collection of poems), Write articles on current affairs in Nav Bharat Times, Pravakta, Inside story, Shashi Features, Panchajany and several Hindi Portals.