ग़ज़ल
दिल के रिश्ते सच्चे रिश्ते
बाकी सारे कच्चे रिश्ते
अक्सर वही तोड़ते हैं दिल
जिनसे होते अच्छे रिश्ते
नाम नहीं कोई मिल पाता
कुछ होते हैं ऐसे रिश्ते
कभी वक्त पे काम ना आएं
जो होते हैं नाम के रिश्ते
कभी अचानक बन जाते हैं
जान से ज्यादा प्यारे रिश्ते
कुछ रिश्ते पर्वत से ऊँचे
कुछ सागर से गहरे रिश्ते
कभी अपने तो कभी पराए
बदलें कितने चेहरे रिश्ते
— भरत मल्होत्रा