गीत/नवगीत

जिसकी यहां पर कब्र खुदी, ओ खुदा बन गया।।

ऐ मौत तू इतनी खूबसूरत क्यों है, जो गया तेरा हो गया।
जी भर के तुझे जो देख ले, वो इस दुनियां से खो गया।।

दीदार तेरे जलवों से करने, को जी अब कर रहा
कितनी हंसीन तू होगी, सोंच कर मैं आहें भर रहा।।
जब तक सांसों में दम है, तब तक तू छाई रहेगी।
लौट के ओ आया नही, जो कूंचे में तेरे चला गया।।
ऐ मौत तू ………….. दुनियां से खो गया।।

पायल की झंझनाट तेरी, सुनते ही सब चले गये।
हर अदा कातिल है तेरी, मरते ही सब चले गये
हूर भी शर्मा गयी, जलवों को तेरे देख कर-
क्या गजब की चीज है तू, जो खुदा बना गया
ऐ मौत तू …………. दुनियां से खो गया।।

आगोश में इक बार ले ले, बस यही है आरजू।
सांसों की सरगम की मेरी, बस तेरी ही जूस्तजू।
तू संवर कर इक बार आजा, दुनियां को मै छोंड़ दूं।
खानाबदोस तेरे वास्ते, बस बहुत अब हो गया।।
ऐ मौत तू ………… दुनियां से खो गया।।

मैं भी तुझको चाहता हूं, राह तेरी देख रहा।
पथरीले राहों पे तेरी, ऐडियां मैं रेत रहा।
क्या (राज) है तेरी अदा का, कुछ तो बताओ-
जिसकी यहां पर कब्र खुदी ओ खुदा बन गया।।
ऐ मौत तू …………. दुनियां से खो गया।।

राज कुमार तिवारी 'राज'

हिंदी से स्नातक एवं शिक्षा शास्त्र से परास्नातक , कविता एवं लेख लिखने का शौख, लखनऊ से प्रकाशित समाचार पत्र से लेकर कई पत्रिकाओं में स्थान प्राप्त कर तथा दूरदर्शन केंद्र लखनऊ से प्रकाशित पुस्तक दृष्टि सृष्टि में स्थान प्राप्त किया और अमर उजाला काव्य में भी सैकड़ों रचनाये पब्लिश की गयीं वर्तामन समय में जय विजय मासिक पत्रिका में सक्रियता के साथ साथ पंचायतीराज विभाग में कंप्यूटर आपरेटर के पदीय दायित्वों का निर्वहन किया जा रहा है निवास जनपद बाराबंकी उत्तर प्रदेश पिन २२५४१३ संपर्क सूत्र - 9984172782