जय विजय बनें हैं तब जाकर, आरजू अभी कुछ बाकी है
युवा सुघोष बने पहले, राज दिलों पर कर डाला
अब मोती मेरे निखर गये, बन गई है सुन्दर माला।।
नित नई कहानी जीवन की कोरे कागज पर लिखते थे।
छोटा सा हिबडा था मेंरा, उसमें फूल नए खिलते थे।।
न भेद किया न भाव दिखा, जो आया अपना बना लिया-
अनगिनत सितम सहे हमनें, तब बनी है जाके ये माला।।
युवा सुघोष…………….गई है सुन्दर माला।।
छाले न देखे पांवों के, मंजिल पर जाके जय हुई।
लिये पताका हाथों में, संघर्षोें पर भी विजय हुई।।
जय विजय बनें हैं तब जाकर, आरजू अभी कुछ बाकी है-
फाके जहां पर पडते है, दे पाउं उनको एक निवाला।।
युवा सुघोष…………….गई है सुन्दर माला।।
मातृभूमि की भाषा का हम, नाम अमर कर जाएंगे।
कर्मशील बनकर इसमें, सोने के पंख लगायेगे।
पथरीला राहों पर चलकर, मेहनत मेरी रंग लाई है –
बबूल भरे इस जंगल को, चन्दन हमने कर डाला।।
युवा सुघोष…………….गई है सुन्दर माला।।
आसमान के तारे सब, बनकर शब्द आते हैैं।
मातृभाषा का प्यार भी सभी, जय विजय पाते हैं।।
अंतिम लक्ष्य हमरा है फिर चिडि़य सोने की लाऊं
आखेट न कोई आयेगा, जंजीर ही ऐसी बना डाला
युवा सुघोष…………….गई है सुन्दर माला।।