गीतिका/ग़ज़ल

 ग़ज़ल 

दुखों की घड़ी कब रुला दे, सुनो तो
उदासी कहीं छा न जाये, सुनो तो
जिलाये रखो हौसला हर घड़ी तुम
न उबलो कभी भी कष्टों में, सुनो तो
कहीं बुझ न जायें उम्मीदों के दीप भी
हवा के रुखों से बचाओ, सुनो तो
सदा खुश रहे दिल, मुसीबत न आये
बचाना किसी भी नज़र से, सुनो तो
कभी राह में ठोकरें लग रही हों
कभी खुद कमी आँकना मत, सुनो तो
अँधेरे – अँधेरे मिलें तो रुको मत
जलाओ शमा आस की, सुनो तो
सपन सोच लेना, सभी पूरे होंगे
‘रश्मि’ दृढ़ इरादे ठानो, सुनो तो
रवि रश्मि ‘अनुभूति’