गीतिका
उड़ती उड़ती आज इंटरनेशनल कवि दिवस है
कविता की खाल खीच कर ढोलक बनाइए
भाई भतीजे साथ मिल एक स्वर में गाइए
यह है बपौती आज भी वर्चस्व हमारा
नेता के चरण थाम कर बस लोट जाइए
तब ही मनेगा कवि दिवस पूरे ही विश्व में
सरकार खर्च देगी सभी घूम आइए
ले जाना भूलना नहीं तुम कुल कुटुंब को
अवसर न हाथ आएगा मत चूक जाइए
कविता किधर को जा रही रखिए यही ख्याल
मौका मिले तो राह में कांटे बिछाइये
तुलसी कबीर सूर का साहित्य है अमर
जितने भी दांव पेंच हो सारे लगाइए
— मनोज श्रीवास्तव