परीक्षा
बहुत दिनों से मेरी काम करने की टेबिल पर 25 साल पुराना एक नववर्ष शुभकामना कॉर्ड पड़ा हुआ है, जो अचानक आज मेरे सामने आ गया. 25 साल से एक प्लास्टिक बैग में पड़ा यह शुभकामना कॉर्ड मेरे लिए एक विशेष मायने रखता है.
बच्चों-बड़ों की हजारों कविताएं सहजता से लिखने के बावजूद कभी-कभी एक छोटी-सी कविता लिखना एक परीक्षा की मानिंद लगता है. 25 साल पहले ऐसा ही हुआ था. मेरी एक सहयोगी अध्यापिका सुषमा श्रीवास्तव मेरी कविताओं से अभिभूत थीं. अपने खाली कालांश में घूम-घूमकर वह स्कूल के सभी बुलेटिन बोर्डों पर लगी मेरी कविताओं को बड़े ध्यान से पढ़तीं. शायद उसने अपने पतिदेव कौशल किशोर जी को भी मेरी कविताओं के बारे में बताया होगा. एक दिन वह बोली-
”तिवानी जी, नववर्ष शुभकामना कॉर्ड के लिए अच्छी-सी संदेशमय 8 काव्य-पंक्तियां लिख दीजिए, हमें कॉर्ड छपवाकर अमेरिका भेजने हैं.”
यों तो सबको अपनी हर रचना अच्छी लगती है, लेकिन किसी का अच्छी-सी कहने का सीधा मतलब है, लिखवाने वाले की पसंद की. हमने मां सरस्वती का नाम लेकर 8 काव्य-पंक्तियां लिख दीं. उनको पसंद आ गईं. दूसरे दिन सुबह स्कूल में आकर बोलीं- ”श्रीवास्तव साहब को भी नववर्ष शुभकामना कॉर्ड की 8 काव्य-पंक्तियां बहुत पसंद आ गई हैं, अब हम इसी के कॉर्ड छपवा रहे हैं.” वे काव्य-पंक्तियां इस प्रकार हैं-
”नव प्रकाश की झिलमिल वेला,
झांक रही है बादल से।
फैलेगा अब स्वप्न सुनहरी,
नए वर्ष के आंचल से॥
मंगलमय हो शुभकारी हों,
सोने-से दिन, निशा रुपहली।
नवल स्नेह से बुला रही है,
चमक-गमक मय, किरण सुनहरी॥”
मतलब मैं परीक्षा में उत्तीर्ण हो गई थी. तभी मेरे समक्ष एक समाचार आ गया- ”आज कविता दिवस है.”
21.3.18
कल कविता दिवस था. कविता लिखी नहीं जाती, सृजित हो जाती है. आपके अंदर भी कविता लिखने की तनिक भी सहज प्रवृत्ति है, तो आप अभ्यास द्वारा इस कला को विकसित कर सकते हैं. आज कविता दिवस के शुभ अवसर पर खुद को पहचान कर कविता लिखने का प्रयत्न करके देखिए. हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं.