कविता

ले लें बैंक से कर्ज उधार

मां – बाप ने बस यही सिखाया,
ईमानदारी का पाठ पढ़ाया
मेहनत की रोटी अच्छी है
रात – दिन यही रटवाया
पर मेहनत से क्या कर सकते यार
अपनी जिंदगी बसर ना होगी
लोगों पर कोई असर ना होगी
चलो करें अब एक काज यार
सत्ताधारी नेताओं के बने
थोड़े दिनों के लिए चाटुकार
उनके आशीर्वाद से मित्रवर
करोड़ों के कर्ज पा जाएंगे
नेताजी को लाख दे देंगे
अफसर को देंगे पचास हजार
मस्त मौला की जियेगें जिंदगी
होंगी गाड़ी, बंगले, कार
मूलधन देना नहीं तो
ब्याज के चक्कर में क्यों हो भाय
हल्ला ज़्यादा मचे अगर तो
निकल जाएंगे देश से यार
कई पीढ़ियाँ ऐश करेंगी
ऐसा बनाया हूं मैं प्लान
हमें किसी से क्या है डरना
एक ना एक दिन सबको मरना
जब तक हो खुश होकर जी लो
महंगी – महंगी सोम रस पी लो
देश को छोड़ विदेश घूमेंगे
गोरियों के हम गाल चूमेंगे
डरते क्यों हो कछु ना होगा
यह सब पहली बार न होगा
सब के सब मौसेरे भाई
बहुत सा रे है कानून बनाई
जो भी पकड़ने आयेगा
कमीशन पाते चला जायेगा
होने वाली है कारवाई
फोन कर बतलाएगा
दो चार दिन हो हल्ला होगा
फिर सब शांत हो जायेगा
सच कहता हूं सोच लो बंधू
ऐसा मौका न फिर आयेगा
चौकीदारो जी हो रहे
करोड़ों के घोटाले हो रहे
ऐसे ही उम्र ढल जाएगी
इक दिन मौत भी आयेगी
देर न करो हो जाओ तैयार
ले ले बैंक से कर्ज उधार

संजय सिंह राजपूत

संजय सिंह राजपूत

ग्राम : दादर, थाना : सिकंदरपुर जिला : बलिया, उत्तर प्रदेश संपर्क: 8125313307, 8919231773 Email- [email protected]