दहेज लोभी जीवन के संघर्ष
संघर्ष जीवन में
अनेक नित नये अनुभूतियां कराते है।
सूर्य स्वयं जलकर
सारे संसार को
प्रकाशित कर देता है
जैसे वृक्ष सारे संताप सहकर
फल ,फूल, व शीतलता
प्रदान करते हैं।
किन्तु
इंसान संघर्षो से
मुकाबला करने के बजाय
घबराकर जीवन की
इति श्री क्यों कर लेता है?
जीवन से घबराना
और फिर भागना कायरता है।
क्यों कि
ईश्रवर की बनाई
इस अनुपम कृति को
समाप्त करने का
हमें कोई अधिकार नहीं है
जब संसार से
विदा लेना ही है
तो क्यों न हम
अपने दायित्वो का
निर्वहन करते हुये
काँटो में भी क्यों न मुस्कुराते
नदियों के समान
निस्वार्थ जल प्रदान करे।
वृक्ष के समान
मीठे फल दे।
दीपक के समान
ज्ञान का प्रकाश
फैलाते हुये
अपने जीवन को
सार्थक करें।
✍कालिका प्रसाद सेमवाल