नई नवेली
माता-पिता ने बेटे राजीव की शादी दसवीं के बाद ही करदी क्योंकि उसकी दोस्ती गलत मित्रों के साथ हो गई थी| माँ ने सोचा, “विवाह हो जायेगा, बेटा अफीम, गांजा अदि का नशा छोड़ देगा, गलत लोगों के साथ उठना बैठना बंद कर देगा|” नई नवेली ने घर में कदम रखे, तो कच्ची उमर की बहू चुलबुली सबको मन से खुश रखने की कोशिश करती थी| बहू माता-पिता की इकलोती बेटी थी, लाड प्यार से पलने के कारण निडर और हर काम में दक्ष थी| पति को बोलती, “आप के पास से कैसी बास् आती है, आप नहाते क्यों नहीं| जेब में ये पूडियाँ कैसी हैं?” राजीव अपनी पत्नी पर गलत प्रभाव न पड़े इस लिये कई बार नशा नहीं भी लेता था, पर जब कभी मित्र मिलते तो फिर वही पुरानी नशे की लत शुरू हो जाती थी|
एक बार पत्नी के हाथ पूडियाँ लग गईं| उसने पीहर में दिखा नशे के बारे में बताया, “राजीब तो नशेड़ी है, अब अगर इसने नशा न छोड़ा तो मैं इसको छोड़ दूंगी|” पीहर में दामाद का नशे करने का पछतावा, कोई काम भी न करना | राजीव ना कुछ कमाता,घर वालो के खर्चे पर पलता था | ये बात सभी के मन को चुभता थी | राजीव के माता-पिता हमेशा उसे बोझ समझ गाली देते रहते थे|नई नवेली ने पहले अपने ढंग से समझाने और मनाने की बहुत कोशिश की ,” हम घर छोले बठुरे बनाकर होम -सर्विस से पैसे कमाई कर अपने घर वालो को असमंजस में डाले | वो इस हमारे कदम पर खुश होंगे|” राजिव तो बस “सोंचेगे‘ के इलावा कुछ करना ही नही जानता था | आखिर नई नवेली के सासरे और पीहर ने मिलकर बहू के साथ फैसला लिया , “राजीव को उनके ससुराल में दूकान खुलवा देंगे, जगह बदल जाने से ससुर की मदद से शायद जिंदगी बदल जाये|” नई नवेली के होठों की संजीदगी पाँव वेडी अब एक बड़ी जिम्मेवारी की तरफ बढ़ चली|”
— रेखा मोहन