पीर
झूठी शान अब हमसे दिखाई नहीं जाती,
ये दुनियादारी की रस्में निभाई नहीं जाती ।
मत डाल इतना बोझ इन कंधो पर खुदा,
ये जिम्मेदारियां मुझसे उठाई नहीं जाती ।
झूठे चेहरे, जज्बात लिए फिरते है लोग,
दिल की बात हरेक से बताई नहीं जाती ।
समझना सीख कभी खामोशियां मेरी,
हर बात लफ्जों में बताई नहीं जाती ।
यूँ तो गम में भी मुस्कुरा देते है मगर,
इन आँखों से पीर छुपाई नहीं जाती ।
जख्म भी भर गए निशान भी मिट गए,
फिर भी कुछ बाते भूलाई नहीं जाती ।