गीतिका/ग़ज़ल

पीर

झूठी शान अब हमसे दिखाई नहीं जाती,
ये दुनियादारी की रस्में निभाई नहीं जाती ।
मत डाल इतना बोझ इन कंधो पर खुदा,
ये जिम्मेदारियां मुझसे उठाई नहीं जाती ।
झूठे चेहरे, जज्बात लिए फिरते है लोग,
दिल की बात हरेक से बताई नहीं जाती ।
समझना सीख कभी खामोशियां मेरी,
हर बात लफ्जों में बताई नहीं जाती ।
यूँ तो गम में भी मुस्कुरा देते है मगर,
इन आँखों से पीर छुपाई नहीं जाती ।
जख्म भी भर गए निशान भी मिट गए,
फिर भी कुछ बाते भूलाई नहीं जाती ।

नीतू शर्मा 'मधुजा'

नाम-नीतू शर्मा पिता-श्यामसुन्दर शर्मा जन्म दिनांक- 02-07-1992 शिक्षा-एम ए संस्कृत, बी एड. स्थान-जैतारण (पाली) राजस्थान संपर्क- [email protected]