कविता

गगनांगना छंद [सम मात्रिक]

विधान – 25 मात्रा, 16,9 पर यति, चरणान्त में 212 या गालगा l कुल चार चरण, क्रमागत दो-दो चरण तुकांत

आ भी जाओ अब सपने में, मधुमय यामिनी

मत तरसाओ पिय आँगन में, गाए रागिनी।

लगे न आँख झाँकती साया, तकती आसमाँ

विरहन बनी निराली माया ,रहती यादमाँ।।

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ