है मुहब्बत अगर तो अना छोड़ दो…..
है मुहब्बत अगर तो अना छोड़ दो।
या मुहब्बत का ये फैसला छोड़ दो।
ख्वाहिशे वस्ल है फिर ये कैसी हया
तुम बढाओ कदम, ये हया छोड़ दो।
मुझको हँसना कभी रास आता नहीं
अक्स को मेरे तुम ग़मज़दा छोड़ दो।
लाज आती है मुझको , सरेबज्म यूँ
दम ब दम अब मुझे देखना छोड़ दो।
कैसे उड़ता है रंगे सुखन देखना
जिक्र मेरा वहाँ बस जरा छोड़ दो।
इश्क वालो ये आदत तो अच्छी नहीं
एक चिंगारी को तुम दबा छोड़ दो।
मय बरसती हैं “गुंजन”तेरी आँख से
और कहती है दुनिया नशा छोड़ दो।
अनहद गुंजन