आखिर क्यों ?
सारिका मेरी बालपन की सखी के पति का असामयिक देहावसान सुन मन खिन्न हुवा बैठक में संवेदना प्रकट करने गई सबसे मिली पर सारिका की बड़ी बेटी कहीं नजर नहीं आ रही थी पोछने पर पता चला की वो अभी तक आई नहीं है. लोग खुशर फुसर क्र रहे थे की लो जी बाप के मौताणे में भी नहीं आई ऐसी क्या मजबूरी है. में सारिका को देख रही थी की वो न जाने कहा खो गई है..शून्य में तक रही थी, मेने ज्यादा कुरेदा तो बोली की कुछ नहीं बरसो पहले के अपने अतीत में झांक रही थी,.
सारिका माँ बाप की इकलौती बेटी तो थी ही चाचा ताऊ के भी कोई लड़की न होने से सबकी दुलारी राजा बेटी थी, खूब धूम धाम सेशादी की, पति भी बहुत प्यार करता था सारा दिन आँखों के सामने होना चाहिए, कुछ दिन तो सब अछा लगा, बस घर और पति मगर…., सास अकेली बैठी है, चाहे कोई रिश्तेदार आये सारिका नहीं मिलेगी क्या करती मजबूरी थी लोगो के ताने सुनती घमंड है मिलना नहीं चाहती वगैरह.पर क्या करती किस किस को समझाती.
माँ बाप रिश्तेदार सवयं मिलना आ जाते, पर फिर गम में पिताजी बीमार और कमजोर हो गए, माँ भी उनको छोड़ कर नहीं आ सकती थी तो महीनों गुजर जाते मिले पर…..जितने मुंह उतनी बातें पर पतिदेव चुप मेरा घर कोण देखे कहना कोण बनाए.सारिका पति का मुंह जोहती. आखिर पिताजी का आखिरी समय आ गया भाइयो ने फोन किया पिताजी की जुबान पर तुम्हारा नाम है आखिरी समय है आजवो, तुममे जान अटकी है तब पतिदेव पिघले और कार टैक्सी कर चले पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी ६०० किलोमीटर का फैसला वो पहुंची तब तक अंतिम यात्रा की तैयारी हो रही थी.
सलोका बिछोह रह गया, बूत बन गई सारिका बारह दिन भी पति सेवा में ही ज्यादा रही माँ के पास बतियाने की फुरसत नहीं की आदेश हुवा चलेंगे चली गई, फिर तो कई साल गुजर गए मायके गए माँ से मिले भाई और माँ ही कभी आये तो मिलना हुवा.
ससुराल की जिम्मेदारियां में निभाती रही, मन मे अंतर्दवन्द चलता की कहते है विवाह दो आत्माओं का मिलन होता है. पति पत्नी एक गाड़ी के दो पहिए होते है पर कर्तव्य की जिम्मेदारी केवल पत्नी की, पति का कोई कर्तव्य नहीं, लड़की चावल का पौधा होती है कहीं उगती कहीं फलति पनपती, पति के घर आकर तन मन सेसबको अपनाती है पर क्या जन्मदाता को अपनी जड़ो को भूल सकती है विवाह किया है बिकी नहीं सबसे क्यों तोड़े, क्या पति को उसकी भावनाओ को नहीं समझना चाहिए बेटी माँ के हगर से रुखसत होती है तो हकदार बदल जाता है पिता से मिले तो पति से पूछ कर क्यों ?
वो शानू अपनी बेटी की पीड़ा समझती है क्युकी व्ही कहानी दोहराई जा रही है क्यों ?आखिर इस क्यों का जवाब ?
— गीता पुरोहित
राजस्थान