गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य

ग़ज़ल

दुश्मनों को मिटा’ देना यही’ काल अच्छा है
खुद करो भूल, अदू को सज़ा’ ख्याल अच्छा है |
रक्षा की आड़ में’ इल्जाम कमाल अच्छा है
झूठ को सत्य बताना भी’ धमाल अच्छा है
नाम है रहनुमा’ क्या राह दिखाई किसी’ को
झूठ पर झूठ, तुम्हारा ये’ कमाल अच्छा है |
आज कोई नहीं’ सुनते किसी’ की दुनिया में
उत्तरी कोरिया’ का बम्ब धमाल अच्छा है |
चाँद में दाग है’, मालूम है’ दुनिया को भी
प्रियतमा मेरी तो’ बेदाग़ जमाल अच्छा है |
खाद्य द्रव्यों में’ मिलावट,अनियंत्रित हो’गई
और कहते हैं,कि बाज़ार में’ माल अच्छा है |
वादा’ जो भी किया’ उसको न निभाया तो क्या
कुछ मिले ना सही’ पाने का ख़याल अच्छा है |
देश में आमदनी और खपत कैसी हो
अर्थ आयोग नया मस्त निहाल* अच्छा है |
“वक्त अनुकूल है” ऐसा कहा नेता जी ने
बीते’ कालों से’ अभी का यही’ काल अच्छा है |
काला’ धन सब हो’ गया लुप्त, कि “काली” भी चुप
पूछने वाला’ भी’ चुप किन्तु, सवाल अच्छा है |
कालिपद ‘प्रसाद’

*कालीपद प्रसाद

जन्म ८ जुलाई १९४७ ,स्थान खुलना शिक्षा:– स्कूल :शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ,धर्मजयगड ,जिला रायगढ़, (छ .गढ़) l कालेज :(स्नातक ) –क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भोपाल ,( म,प्र.) एम .एस .सी (गणित )– जबलपुर विश्वविद्यालय,( म,प्र.) एम ए (अर्थ शास्त्र ) – गडवाल विश्वविद्यालय .श्रीनगर (उ.खण्ड) कार्यक्षेत्र - राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कालेज ( आर .आई .एम ,सी ) देहरादून में अध्यापन | तत पश्चात केन्द्रीय विद्यालय संगठन में प्राचार्य के रूप में 18 वर्ष तक सेवारत रहा | प्राचार्य के रूप में सेवानिवृत्त हुआ | रचनात्मक कार्य : शैक्षणिक लेख केंद्रीय विद्यालय संगठन के पत्रिका में प्रकाशित हुए | २. “ Value Based Education” नाम से पुस्तक २००० में प्रकाशित हुई | कविता संग्रह का प्रथम संस्करण “काव्य सौरभ“ दिसम्बर २०१४ में प्रकाशित हुआ l "अँधेरे से उजाले की ओर " २०१६ प्रकाशित हुआ है | एक और कविता संग्रह ,एक उपन्यास प्रकाशन के लिए तैयार है !