लघुकथा

शिकायत !

अभय माँ की रोज़- रोज़ की डांट से तंग आ चुका था। सुबह ही अभय ने फैसला किया कि वो आज नानी के घर चला जाएगा रहने, वो भी  माँ को बिना बताए। अभय की हरकतों से लग रहा था कि वो आज नाराज़ है ठीक से नाशता भी नहीं किया। माँ जानती थी जब भी  अभय परेशान होता है या उसे कुछ समझ न आए तो वो नानी के घर चला जाता है। पर माँ ने कुछ कहा नहीं , अभय बैग लेकर माँ से छुप कर बाहर निकल गया। माँ ने नानी को पहले ही सुना दिया था कि अभय आएगा शायद कुछ नाराज़ है,घर में उसका रवैया बहुत अजीब और चिड़चिड़ा सा रहता है रोज़ डांट खाता है। इसलिए तंग आकर शायद आपसे मेरी शिकायत करने आ रहा है। नानी ने माँ को भी  फोन पर ही डांट दिया कि बेटी अब अभय बड़ा हो रहा है उसे प्यार से समझाना होगा। तुम उसे अब भी  बच्चौं की तरह बार- बार डांटती हो और वो, नाराज़गी में तुमसे कहता तो नहीं पर चिड़ता है! तुम्हारे इस रवैये से हालात और खराब होंगे मैं तो उसे समझाऊँगी.. पर जब वो घर वापिस आए तो तुम भी प्यार से पेश आना। अब वो तुमसे दोस्त की तरह बर्ताव चाहता है, अभी वो यहां आ रहा है अगर मुझसे भी सहमत नहीं हुआ तो सोचो ???
फोन रखती हूँ। माँ को अपनी गलती का एहसास हो गया था पता नहीं वो इतनी कठोर कब हो गई थी।अपने बेटे से वो इतनी दूर हो गई थी कि वो माँ से दिल की बात तक नहीं करना चाहता था।

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |