कुर्सी का खेल
राम आपके देश में अब न जाने क्या क्या चल रहा है,
सबका साथ सबका विकास जातिवादियों को खल रहा है।
जाति वर्ग में बंटकर राम आपका जन्मभूमि जल रहा है,
शिक्षित युवा स्वरोजगार का पकौड़ा तल रहा है।
दलित शोषित के नाम पर दंगा भी करवाते हैं,
सच बोलने वाले विशेष दल का भक्त कहे जाते हैं।
दो घंटे का उपवास फिर चिकन मटन पकौड़े खाते हैं,
हर समय बस लूटने की साज़िश और गरीब छले जाते हैं।
आज़ाद भगत को छोड़ यहां नेता, अभिनेता पूजे जाते हैं,
विलख पड़ता चौथा स्तंभ जब सेलिब्रिटी जेल जाते हैं।
क्या पहना, खाया, सोया कैसे चौबीस घंटे दिखलाते हैं,
समझ नहीं आता नई पीढ़ी को क्या – गुर सिखलाते हैं।
— संजय सिंह राजपूत