गीतिका/ग़ज़ल

वो नूर हो गई…

दुःख से जिंदगी सराबोर हो गई
अब तो आँसुओ की बौछार हो गई
जिनकी यादों का बनाया आशियाना
वो भी अब कोई गैर हो गई
सारे सपने टूट गए हैं अब मेरे
मोहब्बत भी चकनाचूर हो गई
बुनते रहे हम ख्वाब उल्फ़त के
वो भी अब नासूर हो गई
सोचा नहीं उसने कुछ मेरे लिए
मैं तड़पता रहा वो मजबूर हो गई
कहा था उसने आऊँगी एकदिन
फिर क्यों स्वयं से दूर हो गई
देते रहे हमको हरदम भरोसा
समय आया तो वो नूर हो गई
   – रमाकान्त पटेल

रमाकान्त पटेल

ग्राम-सुजवाँ, पोस्ट-ढुरबई तहसील- टहरौली जिला- झाँसी उ.प्र. पिन-284206 मो-09889534228