कहानी

गलती

आज फिल्म बागबां देखते-देखते अचानक पूनम को नरेश की याद आ गई थी. बागबां में अमिताभ ने हेमा मालिनी को कहा था- ”अक्सर लोग प्यार करते हैं, लेकिन यह बात उतनी बार नहीं कहते, जितनी बार कहनी चाहिए. मैं ऐसी कोई गलती नहीं करूंगा.” पूनम से ऐसी ही गलती हो गई थी. अपनी जिंदगी में नरेश की अहमियत का पता होते हुए भी वह उसे यह बात बताने में तनिक हिचकिचाई थी. इतनी-सी गलती की इतनी बड़ी सजा उसे भुगतनी पड़ेगी, यह उसने तब जाना, जब जिंदगी हाथों से रेत की तरह फिसलती चली गई थी. आज भी वे कुछ दिन उसे बहुत अच्छी तरह याद आते हैं.
वह और निशा एक साथ कॉलेज आती-जाती थीं. उनके पड़ोस में रहने वाला नरेश भी उसी समय कॉलेज के लिए निकलता और उनके पीछे-पीछे जाता था. वह जानती थी, कि नरेश बहुत दिनों से हर जगह उसका पीछा करता था, पर वह अनजान बनी रही. एक दिन निशा ने इस बात को तवज्जो देते हुए कहा था- ”देखो तो, हमारा बॉडीगॉर्ड आ रहा है.”
”नरेश की बात कर रही है?” पीछे मुड़कर देखे बिना उसने बेखबरी से कहा था.
वह भले ही बेखबर रही, लेकिन निशा ने समय रहते वह मौका नहीं छोड़ा था- ”आप हमारे बॉडीगॉर्ड बनिएगा क्या?”
”क्या मतलब? मैं समझा नहीं.” नरेश ने कहा था. निशा ने ही उसे यह बताया था और यह भी, कि कॉलेज की पढ़ाई खत्म होते ही वे शादी करेंगे.
उस दिन से उसने कॉलेज जाने का अपना समय-रास्ता बदल लिया था. फिर निशा और नरेश की शादी भी हो गई थी. हनीमून मनाने के लिए वे वहीं चले गए, जहां नरेश की पोस्टिंग हुई थी. इसके बाद उनकी कोई खबर उसे नहीं मिली थी.
सोचते-सोचते उससे नरेश का मोबाइल नबर डायल हो गया था. ”कैसी हो पूनम? इतने सालों बाद याद किया! जानती हो, मैंने अपडेट के चक्कर में कई मोबाइल बदले, पर लड़-झगड़कर नंबर वही लेता रहा. मुझे पूरा विश्वास था, एक दिन तुम्हारा फोन अवश्य आएगा. तुमने भी फोन नंबर नहीं बदला!” एक सांस में ही नरेश ने अपना मन उंडेलकर रख दिया. तनिक सांस लेकर बोला- ”कुछ बोलो तो, कैसी हो पूनम?”
”ठीक हूं, निशा कैसी है?” पूनम से इतना ही बोला गया.
”निशा का तो उसी निशा को निशां मिट गया था!” उदासी और निराशा उसकी आवाज में साफ झलक रही थी- ”तुम्हें खबर नहीं मिली?”
”ओहो!” पूनम ने अफसोस जताते हुए कहा- ”मुझे कैसे पता चलता भला, मैं तो सब खबरों से दूर हूं. घर में सबके शादी करने के लिए जोर देने से घबराकर मैं घर से ही दूर हो गई थी. क्या हुआ था निशा को?”
”हमारे Just Wedding वाली कार एक ट्रक की चपेट में आ गई थी. निशा वहीं चल बसी थी.”
”तुम कैसे हो?”
”मैं तो बच गया, शायद पूनम की शीतलता का मरहम मेरे काम आया.”
”कब मिल रही हो तुम? छह साल से मुझे तुम्हारी प्रतीक्षा है.”
”मुझे भी छह युग से तुम्हारी प्रतीक्षा है.” पूनम ने हिम्मत जुटाकर कह ही दिया.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

5 thoughts on “गलती

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी कहानी, बहिन जी !

    • लीला तिवानी

      प्रिय विजय भाई जी, आपने बिलकुल दुरुस्त फरमाया है. आपकी प्रोत्साहन से सराबोर प्रतिक्रिया हमारी प्रेरणा बन जाती है. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    अछि लघु कथा लीला बहन .

    • लीला तिवानी

      प्रिय गुरमैल भाई जी, ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.

  • लीला तिवानी

    देर से ही सही प्यार को प्यार मिला. प्यार में कभी-कभी ऐसा भी हो जाता है. हमेशा मनचाहा नहीं मिलता है, हरिचाहा भी मिल जाता है. पूनम के अपनी गलती सुधारते ही सब कुछ ठीक हो गया. जिंदगी हाथों से रेत की तरह फिसलती है, इसलिए समय रहते ही अपनी गलती सुधार लेनी चाहिए, ताकि जीवन सुखमय हो सके.

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