लघुकथा

धैर्य का सुदृढ़ संकल्प

सुनील अच्छी तरह जानता था, कि हर काम में अग्रणी तथा अत्यंत प्रतिभाशाली होते हुए भी उसके अंदर धैर्य की कमी है. अक्सर वह बहुत जल्दी में रहता था. अपनी इसी आदत के कारण वह काम पूरा करके उस पर एक उड़ती नजर भी नहीं डालता था, इसलिए उसके अनेक कार्यों में छोटी-छोटी गलतियां रह जाती थीं. वह बहुत शिद्दत से इस समस्या से छुटकारा पाना चाहता था. समाधान के लिए मनीष के कहने पर वह उसके साथ एक बाबाजी के पास चला गया. वहां से आकर वह वहां के घटनाक्रम पर मंथन कर रहा था.

मनीष ने सबसे पहले बाबाजी से उसका परिचय कराया. बाबाजी ने मनीष से उसकी समस्या पूछी. मनीष ने अपनी विस्मृति के बारे में बताया. वह बहुत ध्यान से पढ़ता था, उसे पढ़ा हुआ अच्छी तरह याद भी हो जाता था, पर थोड़ी देर में सब भूल जाता था. बाबाजी ने उसका हाथ देखा. आधे घंटे तक वह हाथ बाबाजी के हाथ में दिए बैठा धैर्य से उनका विश्लेषण सुनता रहा और हां जी-स्वीकृति में सिर हिलाता रहा. फिर आई समाधान की बारी. समाधान में उसको मंत्र का जाप बताया गया, साथ ही रूठे ग्रहों को मनाने के लिए कुछ पूजा का परामर्श दिया गया. पूजा के लिए सामग्री की सूची वाट्सऐप पर मैसे

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

3 thoughts on “धैर्य का सुदृढ़ संकल्प

  • मनमोहन कुमार आर्य

    आपने इस कथा में जिस विषय को उठाया है वह प्रशंसनीय है। मुझे लगता है की ध्यान संध्या व योगाभ्यास से हम अपने मन को वश में कर सकते हैं और इससे किसी भी कार्य को धैर्य से संपन्न कर पाते हैं अति शीघ्रता नहीं करते। सादर नमस्ते बहिन जी।

    • लीला तिवानी

      प्रिय मनमोहन भाई जी, आपने बिलकुल दुरुस्त फरमाया है. आपने बहुत अच्छा उपाय सुझाया है. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.

  • लीला तिवानी

    धैर्य के लिए सुदृढ़ संकल्प ही काफी है, उसी से मन में साहस का संचार होगा, हाथ दिखाकर मन को कमजोर बनाने और मंत्र-जाप या पूजा से नहीं. उसमें समय गंवाने से तो अपने मन में धैर्य की शक्ति का संचार करना ही बेहतर है.

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