गज़ल
इस दुनिया के लोगों को ये क्या हुआ
यहां हर कोई है गम का मारा हुआ
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हर आँख अश्कों से है तरबतर
हर दामन लहू में है भीगा हुआ
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कौन देखे-सुने हाल मुफलिस का अब
बहरा हाकिम, कानून अँधा हुआ
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कैसे उल्टी तरफ गंगा बहने लगी
सच फटेहाल है, झूठ राजा हुआ
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अँधेर नगरी है, चौपट है राजा
टके सेर भाजी और खाजा हुआ
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सबसे कह दो करे न कोई शोर-ओ-गुल
उठ न जाए कहीं देश सोया हुआ
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आभार सहित :- भरत मल्होत्रा।