जी करता है
जी करता है दूर गगन में पत्थर एक उछालूँ मैं,
आसमान में उसे डूबोकर, फिर से आज निकालूँ मैं।
खोया खोया चिंतन में , मन क्यों व्याकुल बैठा है,
इस जैसी मासूम शरारत से आनंद उठालूँ मैं ।।
मन चिंतित देश हमारा नफ़रत आग धधकता है,
गंगासागर ले जाकर इस आग को आज डुबा लूँ मैं ।
देश प्रेम में वशीभूत हो वन्देमातरम जो न गाये ,
उस भाई को गले लगाकर दिल से आज मना लूँ मैं।।
।।प्रदीप कुमार तिवारी।।
करौंदी कला, सुलतानपुर
7978869045