पेड़ लगाऊंगा
नन्हा मैं हूँ नन्हा सा ही पेड़ लगाऊंगा,
भरी जवानी में फल जिसके ढेर खाऊंगा।
हरी भरी धरती पर बरसेंगें बादल काले काले,
बारिस की पानी में कागज की नाव चलाऊंगा।।
अपने कुर्ते को टांग खूटी बारिस में भीगूंगा ,
लेट धरा पर मैं मिट्टी-पानी में मिल लूँगा।
बचपन की जो शरारत आज नहीं कर पाया,
सच कहता हूँ एक दिन अपने मन की कर लूँगा।।
रोक नहीं पायेगा उस दिन शर्म हया भी मुझको,
यौवन में बचपन वाले दिन खुल कर जी लूँगा।
इसी लिए भाई मैं ढेरो पेंड लगाऊंगा
आज तरसता बारिस को कल खूब नहाऊंगा।।
।।प्रदीप कुमार तिवारी।।
करौंदी कला, सुलतानपुर
7978869045